कभी तो ज़िन्दगी महसूस करेगी मेरे एहसासों को,
कभी तो बिन कहे ही समझ सकेगा कोई मेरी बातों को,
कभी तो ख़तम हो जाएगी तलाश किसी की मुझे,
कभी तो भूल जाऊंगा सब कुछ गले लगाकर उसे,
कभी तो उसकी यादों में कट जाएगा दिन कट जाएगी रात,
कभी तो बारिश आ जाएगी उसकी मुस्कुराहटों के साथ,
कभी तो नज़र मिलते ही उसपर टिक जाएगी मेरी ये निगाहें,
कभी तो ऐसे ही साथ चलेंगी मेरे ये हवाएं,
कभी तो तन्हाई में भी एक आवाज सी सुनाई देगी उसकी,
कभी तो सामना होगा उससे, मन में उम्मीद बसी है जिसकी,
कभी तो झुक जाएगा आसमां, संग होगी ज़मीं,
कभी तो नहीं रहेगी पास मेरे किसी की भी कमी,
कभी तो फिर से आएंगी बचपन की वो नादान शरारतें,
कभी तो दोहरा सकूँगा वो लड़कपन की बेधड़क चाहतें,
कभी तो लौटेगा वो पल जब हम तुमसे थे मिले,
कभी तो मिलेगा वो मोड़ जहां हाथ थामे थे चले,
कभी तो सिर्फ सपनों में ही नहीं पर हकीकत में भी होगी मुलाकात,
कभी तो उसको पाने से मिल जाएगी कायनात,
कभी तो आएगा वो दिन, जब मोहताज नहीं सरताज बनूंगा मैं..
Posted inPOEM
You must be logged in to post a comment.