तुमसे विनती है कि अबसे और ना तुम अभिमान करो,
जीवन में कम से कम अपने एक बार रक्त दान करो।
कर लिया बहुत कुछ जीवन में, अब ये काम महान करो,
जीवन में कम से कम…भले किया हो नाम बहुत, पर सबसे बड़ा ये मान है,
मरते को मिल जाए जीवन, बड़ा ये जीवनदान है,
इसे किया ना जीवन में तो और क्या तुमने काम किया,
सिर्फ पैर पसारके बैठे और बहुत आराम किया,
रक्त से मिलता जीवन सबको, कुछ इसका सम्मान करो,
जीवन में कम से कम…स्वस्थ शरीर जो है तुम्हारा, बड़े गर्व की बात है,
ये भी समझो कि सबके, ऐसे नहीं हालात हैं,
काबिल हो जो रक्तदान के, तो पुण्य ये ज़रूर करो,
बिना किसी के आग्रह पर, दिल को तुम मंज़ूर करो,
रक्त बनेगा शुद्ध दोबारा, इसपर भी तुम ध्यान धरो,
जीवन में कम से कम…तुम जो करोगे दान ये तो पाओगे कई वरदान,
करे जो परहित, वो ही कहलाता सच्चा इंसान,
मानवता के लिए करो ये, है इसमें सबकी भलाई,
सहज ही कर लो, ना करो लोगों में अपनी बड़ाई,
अपना देकर रक्त तुम औरों के जीवन में प्राण भरो,
जीवन में कम से कम…Disclaimer:
डिस्क्लेमर: इस कविता का एकमात्र उद्देश्य समाज में रक्त-दान के प्रति जागरुकता फैलाना है। यहां केवल उन्हीं लोगों को रक्त-दान के लिए सुझाव दिया गया है, जो कि बिना किसी पूर्व बीमारी के पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और जो स्वयं की इच्छा से रक्त-दान करना चाहते हैं।कृपया रक्त-दान से पहले सही पद्धति से काबिल डॉक्टर से सलाह लें, जांच करवाएं और डॉक्टर की सहमति के बाद ही रक्त-दान करें।
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