तुम नहीं समझोगी।

तुम नहीं समझोगी। Poetry Hindi Poem Hindi Kavita
तुम नहीं समझोगी।

किस तरह हर पल मेरा दिल तुम्हें याद करता है,
तुम नहीं समझोगी!
हर घड़ी तुमसे मिलने की फ़रियाद करता है,
तुम नहीं समझोगी!

मन मचलता है, दिल में एक मीठी सी चुभन सी छा जाती है
आंसू छलक जाते हैं मेरे, जब कभी तू याद आ जाती है
पर, अजब सा नशा है तेरी याद में ऐ जानेमन
कि बेचैन हो उठता हूँ मैं, जब कभी तेरी याद ना आती है
तेरी यादों से ही तो मेरा मन संवरता है
तुम नहीं समझोगी!

पास कभी जो आए तू तो, दिल मेरा घबराता है
यूँ तो बड़ा बेफिक्रा बनता है, पर देख तुझे डर जाता है
कहना तो चाहता है बहुत कुछ, कुछ भी कह ना पाता है
प्यार भरा जो कबसे इसमें, तुमसे ये छुपाता है
और कुछ नहीं, दिल सिर्फ तुम्हे खोने से डरता है
तुम नहीं समझोगी!

सोचता हूँ कि सोचूँ ना तुझको, बिन सोचे रह ना पाता हूँ
हँसता हूँ कभी यूँ ही, तो कभी ग़म में खो सा जाता हूँ
याद तेरी जो बेकाबू हो, यादों में सो जाता हूँ
सामने जो ना कह पाता हूँ, सपनों में कह जाता हूँ
हर वक़्त मेरा दिल मुझे समझाता है…


तुम नहीं समझोगी, तुम नहीं समझोगी!