मैं चलता रहूंगा।

मैं चलता रहूंगा। Poetry Hindi Poem Hindi Kavita
मैं चलता रहूंगा।

गिरूं चाहे कितनी ही दफा,
हर बार उठकर संभलता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।
आएं भले कितनी ही कठिनाईयां,
उन मुश्किलों से निकलता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।

बहुत डर चुका अपनी राहों से अबतक
जब चलना ही है तो फ़िर परवाह क्या करना
कर्म है मेरा आगे बढ़ते रहना
बेवजह इस ज़िन्दगी पर क्यूं बिगड़ना
गलतियों से खुद की सुधरता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।

उम्मीद नहीं है साथ की किसी के
रूठना हो जिसको भले चाहे रूठे
शिद्दत से सीखा है यूं चलते जाना
टूट जाऊं मैं पर मनोबल ना टूटे
मुसीबतों को अपनी अखरता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।

आसान नहीं होगी राह हमेशा
फ़िर भी कभी पीछे मैं ना हटूंगा
काबिल मैं बनकर जीतूंगा सबकुछ
झुक जाए दुनिया पर मैं ना झुकूंगा
हर बार और मैं निखरता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।

रोका था अबतक बहुतों ने मुझको
टोका किसीने, किसीने भटकाया
लगी देर थोड़ी, बात आई समझ में
अपने वही थे, जिन्होंने चलना सिखाया
हटने से पीछे मुकरता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा।

मिट गए हैं सारे दुखों के बहाने
अभी तो बस चलना शुरू ही किया है
लगाया गले ना चुनौतियों को जिसने
होकर भी मानव वो क्या जिया है
नाम अपने कामयाबी मैं करता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा…
आएं भले कितनी ही कठिनाईयां
उन मुश्किलों से निकलता रहूंगा
मैं चलता रहूंगा…