आहट ना हो तेरी जो कभी तो
यूं ही सहम सा जाता हूं मैं,मेरे संग तू है ना कोई कमी है
बिन तेरे रह ना पाता हूं मैं,साया भी तेरा हो जाए मुझसा
तुझमें इस क़दर समाता हूं मैं,की ना हो किसी ने कभी भी मोहब्बत
शिद्दत से इतनी निभाता हूं मैं,मुझको यकीं है कि तुझको पता है
इश्क़ कभी ना जताता हूं मैं,अलग ना हों हम अब तो कभी भी
ऐसे फसाने बनाता हूं मैं,सारे दिन मेरे, मेरी सारी रातें
ख्वाबों में तेरी बिताता हूं मैं,याद कभी ना मुझको करे तू
क्या इतना तुझको सताता हूं मैं,कह दे अगर ना तुझको यकीं तो
दिल चीर कर भी दिखाता हूं मैं,हरपल मेरी याद में तू बसी है
क्या तुझको भी कभी याद आता हूं मैं।
Posted inPOEM
क्या तुझको कभी याद?

क्या तुझको कभी याद।
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